holika dahan 2022: happy holika dahan – holika dahan ka samay

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हमेशा मीठी रहे आपकी बोली,
खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤° जाठआपकी à¤à¥‹à¤²à¥€,
आप सबको मेरी तरह से,
हैपà¥à¤ªà¥€ होली।
यगà¥à¤²à¤¾à¤² का रंग, गà¥à¤¬à¥à¤¬à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की मार,
सूरज की किरणे,खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की बहार,
चाà¤à¤¦ की चांदनी, अपनों का पà¥à¤¯à¤¾à¤°,
मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤• हो आपको रंगों का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°.
दोस्तो इस बार रंग बाली होली शुक्रवार के दिन 18 मार्च 2022 को सुबह 10 बजे से 1 बजे तक होगा, हमें इसी समय में होली खेलनी है इसके बाद दूसरी तिथि शुरू हो जाएगी, जिसे आम भाषा में पर्वा कहते है इस तिथि में घर से बाहर नही जाया जाता है।
दोस्तो हमारे देश में आये दिन कोई न कोई त्योहार होता ही है, जिनमे से हम जैसे आम लोगो को इन त्यौहार की कोई भी जानकारी नही होती है, बिल्कुल ऐसा ही एक त्यौहार है मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 जिसके बारे में शायद ही आपने पहले कभी सुना हो या फिर नोटिस किया हो।
मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को हमारे देश के दक्षिण भाग, उड़ीसा और केरल में ही मनाया जाता है, इस समय सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करते है, इसीलिए इस दिन मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 मनाई जाती है।
दोस्तो हमारे यहाँ के सभी त्योहार मनाने का कोई न कोई महत्व होता ही है, बिल्कुल ऐसे ही मिथुन संक्रांति का भी बहुत बड़ा महत्व है, इस दिन से हमारे देश में वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है, और एक नया मौसम शुरू हो जाता है, इस फेस्टिवल को हमारे देश में अलग अलग नामो से और अलग अलग तरीको से मनाया जाता है।
दोस्तो जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया है कि मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को अलग अलग नामो से मनाया जाता है जैसे कि केरल में इस फेस्टिवल को मिथुनम ओंठ कहते है और ओडिशा में इस त्योहार को रज पर्व के नाम से बुलाया जाता है इसके अलावा और भी नाम है।
दक्षिण भारत में मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, इस त्योहार को मनाने के लिए 4 दिन पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है, और इस बीच घरों में सिल बटने का उपयोग नहीं किया जाता है इसीलिए सभी लोग 4 दिन पहले से ही घर में मसाले पीस कर रख लेते है, और अपने गाँवो के बरगद के पेड़ में झूले डाल लिए जाते है जिसपर मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 के दिन बैठकर झूला जाता है इसके अलावा मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को मनाने का तरीका निम्नलिखित है –
दोस्तो हमारे देश में कोई भी शुभ काम करना हो, या फिर कोई त्यौहार मानना हो तो उन सभी का एक शुभ मुहूर्त भी होता है, इस साल मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को मनाने का शुभ मुहूर्त 15 जून के दिन है इस दिन दोपहर के 12 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक रज त्यौहार को मनाने का शुभ मुहूर्त है, इसी समय में हम सभी को सिल बटने और सूर्य देव की पूजा करनी है।
रज पर्व 2022 त्यौहार को दक्षिण भारत में बहुत ही बड़े रूप से मनाया जाता है, इस दिन को छोटे बच्चे झूले पर झूलते है, और मंदिर पर बहुत ही सजावट की जाती है, इस दिन बहुत लोग मंदिर जाकर भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद भी लेते है,
इस त्योहार के अवसर पर सभी लोग उत्सव मनाते है और सभी तरह का काम जैसे कि खेती का काम, बाजार का काम नही करते है, और घर की स्त्री लोगो को इन 4 दिन काम नही करने दिया जाता है ऐसा करने का एक वैज्ञानिक कारण भी है क्योंकि साल भर हमारे घर की स्त्री लोग काम करते है जिससे इन लोगो को साल में 4 दिन का अवकाश मिलता है, रज पर्व के दौरान सभी काम घर के पुरुष लोग ही करते है, और पुरुष लोग ही इस रज पर्व की सभी तैयारियां करते है।
तो दोस्तो आपको हमारा आज का लेख मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 कैसा लगा, आपने अगर इस त्यौहार के बारे में पहली बार जाना है, या फिर आप पहले से ही जानते है तो एक कॉमेंट करके हमे जरूर बताना।
दोस्तो हमारे देश के सभी व्रत or त्यौहार आपस मे एक दूसरे से जुड़े हुए होते है, यह सब आप हमारे पिछले व्रत और त्योहार के लेख में पढ़कर समझ ही गए होंगे इसीलिए आज हम आपके लिए एक और सबसे बड़े त्यौहार के बारे में जानकारी लेके आये है जिसे हम सभी jagannath puri rath yatra फेस्टिवल 2022 के नाम से जानते है,
अब आप सोच रहे होंगे कि भगवान जी की रथयात्रा का यह पावन त्योहार हमारे किस त्यौहार से जुड़ा हुआ है तो आपको बता दे कि हमने कुछ दिन पहले आपको अक्षय तृतीया के बारे में बताया था,
यह त्योहार अक्षय तृतीया से जुड़ा हुआ है, इसी दिन से भगवान जगन्नाथ जी के लिए रथ बनाना शुरू कर दिया जाता है।
Puri rath yatra festival भगवान जगन्नाथ, बलराम जी, और उनकी छोटी बहन सुभद्रा जी के याद में मनाया जाता है जिसके पीछे भी कहानी है। इस कहानी के हिसाब से जब भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हुई थी तब उनके भाई बलराम दुखी होकर श्री कृष्ण जी की अस्थियां लेके यानी कि उनका जला हुआ शरीर लेके समुद्र में कूद गए थे और उनके पीछे उनकी बहन जिनका नाम सुभद्रा था वो भी कूद गई थी, इसीलिए इन तीनो जनों की याद में Puri rath yatra 2022 फेस्टिवल मनाया जाता है।
दोस्तो हमारे देश में हर बात का कोई न कोई मुहूर्त होता ही है ये तो आप जानते ही होंगे और हमने यह बात आपको बताई भी है, जैसे कि 2021 में puri rath yatra 2021 बड़े ही धूमधाम से मनाया गया था वैसे ही इस साल 2022 में भी jagannath puri rath yatra 2022 फेस्टिवल 1 जुलाई 2022 की सुबह 7 बजे से निकाली जाएगी, हर साल यह Puri rath yatra आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को ही निकाली जाती है,
Puri rath yatra बहुत बड़ा त्योहार होता है जो कि 10 दिन तक सेलिब्रिट किया जाता है। इस त्यौहार को मनाने के लिए पूरे देश से लोग आते है और धूमधाम के साथ भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा में शामिल होकर उनकी मूर्ति को उड़ीसा के ही गुंडीचा मंदिर में ले जाकर स्थापित कर देते है, ऐसा हम सभी भक्त हर साल करते है।
दोस्तो जब भक्त लोग हजारों की संख्या में मिलकर भगवन जगन्नाथ जी के रथ को खुद से खींच कर Gundicha mandir में ले आते है तो पहले दिन भगवान की मूर्ति को एक स्थान पर रख दिया जाता है इसके बाद अगले ही दिन मंदिर में इन मूर्तियों को स्थापित कर दिया जाता है, और भगवन पर प्रसाद अर्पण किया जाता है, इस दिन सब भक्त लोग मंदिर में ही रुकते है और इसके अगले दिन भी भी बसेरा करते है क्योंकि एकादशी के दिन मंदिर के बाहर नही जाया जाता है।
क्या होते है Puri rath yatra में उपयोग किये जाने वाले रथ ?
दोस्तो जिन रथ में भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बहन को लाया जाता है उसे ही रथ कहते है इन रथ को उनके सभी भक्त मिलकर खींचने का काम करते है यह रथ अलग अलग होते है जो कि निम्नलिखित है –
दोस्तो यह रथ सबसे बड़ा होता है और इसमें बड़े बड़े 16 पहिये लगाए जाते है और इसकी हाइट 45 फुट ऊँची रखी जाती है, इस रथ को भगवान कृष्ण जी के प्रिय रंग पीले और लाल रंग के कपड़े से सजाया जाता है, इस रथ को लोग खुद खींचते है।
दोस्तो बलराम जी का रथ जगन्नाथ जी के रथ से थोड़ा सा छोटा होता है, इसकी hight 43 फुट रखी जाती है और इसमें 16 की जगह 14 पहिये ही लगाए जाते है और इसे dau ji के प्रिय रंग के कपडे जिनका रंग लाल, नीला, और हरा होता है से सजाया जाता है, इस रथ को भी लोग खुद ही खींचने का काम करते है।
दोस्तो रथ यात्रा में यह सबसे अंतिम रथ होता है जो कि ओर रथ के मामले में थोड़ा सा छोटा होता है, इस रथ की hight 42 फ़ीट रखते है और इसमें 12 पहिये ही लगाए जाते है, इसके अलावा इस रथ को सुभद्रा जी के प्रिय रंग के कपड़ों जिनका रंग लाल और काला होता है से सजाया जाता है, इस रथ को नारी शक्ति यानी कि महिलाएं ही खींचती है, इस रथ को पुरूष हाथ नहीं लगाते है।
निष्कर्ष –
Dosto आज के इस लेख में अपने jagannath puri rath yatra 2022 फेस्टिवल के बारे में सभी जानकारी प्राप्त की और आपको यह लेख कैसा लगा हमें कॉमेंट करके जरूर बताना, इसके अलावा हमारे द्वारा दी गयी जानकारी से आप कितने सन्तुष्ट है हमे अपने कॉमेंट के द्वारा जरूर बताना। aur अगर आपको Puri rath yatra se जुड़ी हुई और भी कोई जानकारी चाहिए हो तब भी आप हमें कॉमेंट करके पूछ सकते है।