मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022

मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022, त्योहार और उसे मनाने का तरीका –

मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022
मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022

दोस्तो हमारे देश में आये दिन कोई न कोई त्योहार होता ही है, जिनमे से हम जैसे आम लोगो को इन त्यौहार की कोई भी जानकारी नही होती है, बिल्कुल ऐसा ही एक त्यौहार है मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 जिसके बारे में शायद ही आपने पहले कभी सुना हो या फिर नोटिस किया हो।

मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को हमारे देश के दक्षिण भाग, उड़ीसा और केरल में ही मनाया जाता है, इस समय सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करते है, इसीलिए इस दिन मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 मनाई जाती है।

मिथुन संक्रांति और रज पर्व फेस्टिवल 2022 का महत्व ?

दोस्तो हमारे यहाँ के सभी त्योहार मनाने का कोई न कोई महत्व होता ही है, बिल्कुल ऐसे ही मिथुन संक्रांति का भी बहुत बड़ा महत्व है, इस दिन से हमारे देश में वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है, और एक नया मौसम शुरू हो जाता है, इस फेस्टिवल को हमारे देश में अलग अलग नामो से और अलग अलग तरीको से मनाया जाता है।

कैसे मनाई जाती है मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 ?

दोस्तो जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया है कि मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को अलग अलग नामो से मनाया जाता है जैसे कि केरल में इस फेस्टिवल को मिथुनम ओंठ कहते है और ओडिशा में इस त्योहार को रज पर्व के नाम से बुलाया जाता है इसके अलावा और भी नाम है।

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मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को मनाने का तरीका –

दक्षिण भारत में मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, इस त्योहार को मनाने के लिए 4 दिन पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है, और इस बीच घरों में सिल बटने का उपयोग नहीं किया जाता है इसीलिए सभी लोग 4 दिन पहले से ही घर में मसाले पीस कर रख लेते है, और अपने गाँवो के बरगद के पेड़ में झूले डाल लिए जाते है जिसपर मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 के दिन बैठकर झूला जाता है इसके अलावा मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को मनाने का तरीका निम्नलिखित है –

  1. दक्षिण भारत के लोग 4 दिन पहले से ही इस त्यौहार की तैयारी शुरू कर देते है, और घरों के लिए मशाले, हल्दी, चंदन, फूलों को पीस लेते है।
  2. इस त्योहार पर सिल बटने को लोग भूमाता का दर्जा देकर उनकी पूजा करते है।
  3. इस पूजा में सिल बटने को फूलों से, हल्दी से, चंदन से सजाया जाता है और इससे पहले सिल बटने को दूध से नहलाया जाता है।
  4. इसके बाद सभी लोग मिलकर सिल बटने की पूजा करते है और गरीब लोगों को खाना, भोजन, कपड़े दान करते है।
  5. इसके बाद लोग अपने घर के मंदिरों में पूजा करते है और अपने पूर्वजों को याद करते है।
  6. मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है क्योंकि वर्षा ऋतु के शुरू होने पर उनके खेतो में हरियाली आनी शुरू हो जाती है।

मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 में कब और किस दिन मनाई जाएगी ?

दोस्तो हमारे देश में कोई भी शुभ काम करना हो, या फिर कोई त्यौहार मानना हो तो उन सभी का एक शुभ मुहूर्त भी होता है, इस साल मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 को मनाने का शुभ मुहूर्त 15 जून के दिन है इस दिन दोपहर के 12 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक रज त्यौहार को मनाने का शुभ मुहूर्त है, इसी समय में हम सभी को सिल बटने और सूर्य देव की पूजा करनी है।

मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 का आयोजन कैसे करते है ?

रज पर्व 2022 त्यौहार को दक्षिण भारत में बहुत ही बड़े रूप से मनाया जाता है, इस दिन को छोटे बच्चे झूले पर झूलते है, और मंदिर पर बहुत ही सजावट की जाती है, इस दिन बहुत लोग मंदिर जाकर भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद भी लेते है,

इस त्योहार के अवसर पर सभी लोग उत्सव मनाते है और सभी तरह का काम जैसे कि खेती का काम, बाजार का काम नही करते है, और घर की स्त्री लोगो को इन 4 दिन काम नही करने दिया जाता है ऐसा करने का एक वैज्ञानिक कारण भी है क्योंकि साल भर हमारे घर की स्त्री लोग काम करते है जिससे इन लोगो को साल में 4 दिन का अवकाश मिलता है, रज पर्व के दौरान सभी काम घर के पुरुष लोग ही करते है, और पुरुष लोग ही इस रज पर्व की सभी तैयारियां करते है।

निष्कर्ष –

तो दोस्तो आपको हमारा आज का लेख मिथुन संक्रांति और रज पर्व 2022 कैसा लगा, आपने अगर इस त्यौहार के बारे में पहली बार जाना है, या फिर आप पहले से ही जानते है तो एक कॉमेंट करके हमे जरूर बताना।

 

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